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सोमवार, 27 अगस्त 2012

हल्लो राजा (Hello Raja by Rakesh Ranjan)



हल्लो राजा !
कभी-कभी तो कठिन धूप में
चल्लो राजा !
कभी-कभी तो चिन्ता-भय से 
गल्लो राजा !
कभी-कभी तो जठरागिन में
जल्लो राजा !

जब तिनके-भर सुख की खातिर
स्याह जंगलों-जैसे दुक्खों से जुज्झोगे
तब बुज्झोगे 
परजा होना खेल नहीं है
किसी जनम में
इसका सुख से मेल नहीं है !

मैंने पूछा :
राजा, कैसी है तुकबन्दी ?
राजा बोले :
बेहद गन्दी !



        कवि - राकेश रंजन
        संकलन - अभी-अभी जनमा है कवि 
        प्रकाश - प्रकाशन संस्थान, दिल्ली, 2007


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