Translate

मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

हाली के शेर (Couplets by Hali)



जहाँमें   हाली  किसीपै    अपने  सिवा  भरोसा   न  कीजियेगा l
यह भेद  है  अपनी ज़िन्दगीका  बस  इसकी चर्चा न कीजियेगा ll
हो  लाख  गैरोंका   ग़ैर  कोई  न  जानना  उसको  ग़ैर  हरगिज़ l
जो अपना साया भी हो तो उसको तसव्वुर अपना न कीजियेगा ll
लगाव  तुममें  न  लाग ज़ाहिद  न  दर्दे  उल्फ़तकी  आग  ज़ाहिद l
फिर और क्या कीजियेगा  आख़िर जो तर्के दुनिया न कीजियेगा ll


शायर - हाली 
किताब - सितारे (हिन्दुस्तानी पद्योंका सुन्दर चुनाव)

संकलनकर्ता - अमृतलाल नाणावटी, श्रीमननारायण अग्रवाल, घनश्याम 'सीमाब'  
प्रकाशक - हिन्दुस्तानी प्रचार सभा, वर्धा, तीसरी बार, अप्रैल, 1952

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें