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सोमवार, 24 दिसंबर 2012

करवटें लेंगे बूँदों के सपने (Karvatein lenge boondon ke sapne by Nagarjun)



अभी-अभी 
कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज 
चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें 

अभी-अभी 
थिरकेगी पछिया बयार 
झरने लग जायेंगे नीम के पीले पत्ते 

अभी-अभी
खिलखिलाकर हँस पड़ेगा कचनार 
गुदगुदा उठेगा उसकी अगवानी में 
अमलतास की टहनियों का पोर-पोर 

अभी-अभी 
करवटें लेंगे बूँदों के सपने 
फूलों के अन्दर 
फलों-फलियों के अन्दर 
                     (1964)

कवि - नागार्जुन 
संकलन - नागार्जुन : चुनी हुई रचनाएँ- 2
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 1993

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