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सोमवार, 21 जनवरी 2013

हस्ताक्षर (Hastakshar by Kedarnath Singh)


बालू पर हवा के 
असंख्य हस्ताक्षर थे 
और उन्हें देखकर हैरान था मैं 
कि मेरा हस्ताक्षर 
हवा के हस्ताक्षर से 
कितना मिलता है !

कैसे हुआ यह ? 
क्या मैंने हवा की 
नक़ल की है 
या हवा ने चुरा लिया है 
मेरा हस्ताक्षर ?

दोनों में से 
एक-न-एक को 
जाली ज़रूर होना चाहिए 
मैंने सोचा 

पर अब सवाल यह था 
कि तय कैसे हो 
और हो तो किस अदालत में 
कि कौन-सा हस्ताक्षर जाली है 

कवि - केदारनाथ सिंह 
संकलन - उत्तर कबीर और अन्य कविताएँ 
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण - 1995

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