Translate

शनिवार, 27 अप्रैल 2013

एक मुश्किल सवाल (Ek mushkil sawal by Parveen Shakir)



टाट के पर्दे के पीछे से 
एक बारह-तेरह साला चेहरा झाँका 
वह चेहरा 
बहार के पहले फूल की तरह ताजा था 
और आँखें 
पहली मोहब्बत की तरह शफ्फाक 
लेकिन उसके हाथ में 
तरकारी काटते रहने की लकीरें थीं 
और उन लकीरों में 
बर्तन माँजने की राख जमी थी 
उसके हाथ 
उसके चेहरे से बीस साल बड़े थे l 



शायरा - परवीन शाकिर 
संकलन - थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे 
संपादक - डॉ. विनोदानन्द झा 
प्रकाशक - किलकारी, बिहार बाल भवन, पटना, 2012

1 टिप्पणी: