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गुरुवार, 18 जुलाई 2013

झिलमिल तारे (Jhilmil taare by Subhadra Kumari Chauhan)

कर रहे प्रतीक्षा किसकी हैं झिलमिल-झिलमिल तारे ?
धीमे प्रकाश में कैसे तुम चमक रहे मन मारे ll
अपलक आँखों से कह दो किस ओर निहारा करते ?
किस प्रेयसि पर तुम अपनी मुक्तावलि वारा करते ?
करते हो अमिट प्रतीक्षा, तुम कभी न विचलित होते l 
नीरव रजनी अंचल में तुम कभी न छिप कर सोते ll 
जब निशा प्रिया से मिलने, दिनकर निवेश में जाते l 
नभ के सूने आँगन में तुम धीरे-धीरे जाते ll 
विधुरा से कह दो मन की, लज्जा की जाली खोलो l 
क्या तुम भी विरह विकल हो, हे तारे कुछ तो बोलो ll 
मैं भी वियोगिनी मुझसे फिर कैसी लज्जा प्यारे ?
कह दो अपनी बीती को हे झिलमिल-झिलमिल तारे !



कवयित्री - सुभद्राकुमारी चौहान
संग्रह - मुकुल तथा अन्य कविताएँ
प्रकाशन - हंस प्रकाशन, इलाहाबाद, 1980

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