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शुक्रवार, 23 अगस्त 2013

आहिस्ता (Aahista by Makhdoom Mohiuddin)


साज़ आहिस्ता ज़रा गरदिशे जाम आहिस्ता 
जाने क्या आए निगाहों का पयाम आहिस्ता l 

चाँद उतरा के उतर आए सितारे दिल में 
ख़्वाब में होठों पे आया तेरा नाम आहिस्ता l 
 
कू-ए-जानां में क़दम पड़ते हैं हल्के-हल्के 
आशियाने की तरफ़ तायर-ए-बाम आहिस्ता l 

उनके पहलू के महकते हुए शादां झोंके 
यूं चले जैसे शराबी का ख़राम आहिस्ता l 
 
और भी बैठे हैं ऐ दिल ज़रा आहिस्ता धड़क 
बज़्म है पहलू-ब-पहलू है कलाम आहिस्ता l 
 
                 ये तमन्ना है के उड़ती हुई मंज़िल का गुबार      
                 सुबह के पर्दे में या आ गई शाम आहिस्ता l 


कू-ए-जानां = प्रेमिका की गली 
तायर-ए-बाम = मुंडेर का पक्षी 
शादां  = सुख पहुँचानेवाले 
ख़राम = चाल 
कलाम = काव्य
 
शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन 
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन 
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन 
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2004 

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