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मंगलवार, 24 सितंबर 2013

हम जियें न जियें दोस्त (Hum jiyein na jiyein dost by Kedarnath Agrawal)

हम जियें न जियें दोस्त
तुम जियो एक नौजवान की तरह,
खेत में झूम रहे धान की तरह,
मौत को मार रहे बान की तरह l
हम जियें न जियें दोस्त 
तुम जियो अजेय इंसान की तरह 
मरके इस रण में अमरण
आकर्ण तनी 
       कमान की तरह !   
                            - 9.8.1961

कवि - केदारनाथ अग्रवाल 
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ 
संपादक - अशोक त्रिपाठी 
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2012

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