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मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

देहरी पर दिया (Dehri par diya by Ajneya)

देहरी पर दिया 
बाँट गया प्रकाश
कुछ भीतर कुछ बाहर :
बँट गया हिया -
कुछ गेही कुछ यायावर l
हवा का हल्का झोंका 
कुछ सिमट, कुछ बिखर गया 
लौ काँप कर फिर थिर हुई :
मैं सिहर गया l

कवि - अज्ञेय  संकलन - ऐसा कोई घर आपने देखा है  प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, 1986

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