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मंगलवार, 22 अप्रैल 2014

आभास (Aabhas by Shrikant Verma)


दूर उस अंधेरे में कुछ है, जो बजता है 
शायद वह पीपल है l 

वहां नदी-घाटों पर थक कोई सोता है 
शायद वह यात्रा है l 

दीप बाल कोई, रतजगा यहां करता है 
शायद वह निष्ठा है l 



कवि - श्रीकांत वर्मा 
संग्रह - भटका मेघ
प्रकाशक - राजपाल एण्ड सन्ज़, दिल्ली, 1983

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