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रविवार, 20 अप्रैल 2014

मेरी रेल (Meri rail by Sudheer)


छूटी मेरी रेल l 
रे बाबू, छूटी मेरी रेल l 
हट जाओ, हट जाओ भैया !
मैं न जानूं फिर कुछ भैया !
टकरा जाये रेल l 

धक्-धक् धक्-धक्, धू-धू, धू-धू !
भक्-भक्, भक्-भक्, भू-भू, भू-भू !
छक्-छक् छक्-छक्, छू-छू, छू-छू !
करती आई रेल l 

एंजिन इसका भारी-भरकम l 
बढ़ता जाता गमगम गमगम l 
धमधम धमधम, धमधम धमधम l 
करता ठेलम ठेल l 

सुनो गार्ड ने दे दी सीटी l 
टिकट देखता फिरता टीटी l                          
सटी हुई वीटी से वीटी l 
करती पेलम पेल l 

छूटी मेरी रेल l 



कवि - सुधीर
संकलन - महके सारी गली गली (बाल कविताएँ)
संपादक - निरंकार देव सेवक, कृष्ण कुमार
प्रकाशक - नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, 1996

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