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शुक्रवार, 16 मई 2014

बहस के बाद (Bahas ke baad by Vijay Dev Narayan Sahi)

असली सवाल है कि मुख्यमन्त्री कौन होगा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि ठाकुरों को इस बार कितने टिकट मिले ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि ज़िले से इस बार कितने मन्त्री होंगे ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि ग़फ़ूर का पत्ता कैसे कटा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि जीप में पीछे कौन बैठा था ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि तराजू वाला कितना वोट काटेगा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मन्त्री को राजदूत बनाना अपमान है या नहीं ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मेरी साइकिल कौन ले गया ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि खूसट बुड्ढों को कब तक बरदाश्त किया जाएगा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि गैस कब तक मिलेगी ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि अमरीका की सिट्टी पिट्टी क्यों गुम है ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मेरी आँखों से दिखाई क्यों नहीं पड़ता ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मुरलीधर बनता है 
या सचमुच उसकी पहुँच ऊपर तक है ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि पण्डित जी का अब क्या होगा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि सूखे का क्या हाल है ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि फ़ौज क्या करेगी ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि क्या दाम नीचे आयेंगे ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मैं किस को पुकारूँ ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि क्या यादवों में फूट पड़ेगी ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि शहर के ग्यारह अफसर 
भूमिहार क्यों हो गये ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि बलात्कार के पीछे किसका हाथ था ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि इस बार शराब का ठीका किसे मिलेगा ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि दुश्मन नम्बर एक कौन है ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि भुखमरी हुई या यह केवल प्रचार है ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि सभा में कितने आदमी थे ?
नहीं नहीं, असली सवाल है 
कि मेरे बच्चे चुप क्यों हो गये ?
नहीं नहीं, असली सवाल …

        सुनो भाई साधो 
        असली सवाल है 
        कि असली सवाल क्या है ?



कवि - विजय देव नारायण साही 
संग्रह - साखी
प्रकाशन - सातवाहन पब्लिकेशन्स, दिल्ली, 1983

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