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रविवार, 14 सितंबर 2014

जुग-जुग जियो, हमारे राजा (Jug-jug jiyo hamare raja by Ramjiwan Sharma 'Jiwan')

जुग-जुग जियो, हमारे राजा 
हम  सब  भूखों  मरें  भले ही 
तुम खाओ सिलाव का खाजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

धनियों को नित पास बुलाओ 
आगे  बढ़कर  हाथ   मिलाओ 
किन्तु  गरीबों  को   देखो  तो 
कर लो  बन्द  तुरत  दरवाजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

आज मुजफ्फरपुर आना है 
कल   पटना-राँची  जाना है 
छोड़ो  रेल, उड़ो  विमान पर 
है  फैशन  का  यही  तकाजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

तुम    करते   निर्वाह   हमारा 
जन्म-दिवस है आज तुम्हारा 
फिर न मनाएँ क्यों हम उत्सव 
गाएँ    और    बजाएँ     बाजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

है   तकदीर   हमारी   खोटी 
पायें    कैसे      कपड़ा-रोटी 
तुम पुण्यात्मा पूर्वजन्म के 
पियो  संतरे  का  रस  ताजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

हमें   छोड़  गोरे   प्रभु   भागे 
दुखड़ा   रोएँ   किसके   आगे 
अब तो तुम्हीं हमारे सबकुछ 
नानी   नाना   आजी   आजा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 

'जीवन'   बेवकूफ   तू    भारी 
बड़ोँ-बड़ोँ   को    देता     गारी 
धरती  से  कह  फटे, और  तू 
मुँह में कालिख पोत समां जा 
जुग-जुग जियो, हमारे राजा 


कवि - रामजीवन शर्मा 'जीवन'
किताब - काव्य समग्र : रामजीवन शर्मा 'जीवन'
संपादक - नंदकिशोर नवल 
प्रकाशक - सारांश प्रकाशन, दिल्ली, 1996 


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