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गुरुवार, 15 जनवरी 2015

अब क्या देखें राह तुम्हारी (Ab ky dekhein raah tumhari by Faiz Ahmad Faiz)

अब  क्या देखें राह तुम्हारी 
बीत चली है रात 
छोड़ो 
छोड़ो ग़म की बात 
थम गये आँसू 
थक गईं अँखियाँ 
गुज़र गई बरसात 
बीत चली है रात 

छोड़ो 
छोड़ो ग़म की बात 
कब से आस लगी दर्शन की 
कोई न जाने बात 
बीत चली है रात 
छोड़ो ग़म की बात 

तुम आओ तो मन में उतरे 
फूलों की बारात 
बीत चली है रात 
अब  क्या देखें राह तुम्हारी 
बीत चली है रात 


शायर - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ 
प्रकाशन - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पहला संस्करण - 1984 



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