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रविवार, 15 मार्च 2015

कमइया हमार चाट जाता (Kamaiya hamaar chaat jata by Mahendra Shastri)

कमइया हमार चाट जाता 
इहे बाबू-भइया 

जेकरा आगे जोंको फीका 
अइसन ई कसइया 
दूहल जाता खूनो जेकर 
अइसन हमनी गइया -
कमइया हमार चाट जाता 
इहे बाबू-भइया 

अंडा-बच्चा साथे हमरा 
दिन-दिन भर खटइया 
तेहू पर ना पेट भरे 
चूस लेता चँइया -
कमइया हमार चाट जाता 
इहे बाबू-भइया 

एकरा बाटे गद्दा-गद्दी 
हमनी का चटइया
एकरा बाटे कोठा-कोठी 
हमनी का मड़इया -
कमइया हमार चाट जाता 
इहे बाबू-भइया 

जाड़ा में बा ऊनी एकरा 
खाए के मलइया 
हमनीं का त रातो भर 
खेलाइलें जड़इया -
कमइया हमार चाट जाता 
इहे बाबू-भइया 



भोजपुरी कवि - महेन्द्र शास्त्री 
संकलन - हिन्दी की जनपदीय कविता 
संपादक - विद्यानिवास मिश्र 
प्रकाशक - लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, 2002

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