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रविवार, 18 जून 2017

फालतूपन (Redundancy by Purwa Bharadwaj)


रोजाना लगभग 50 किलोमीटर का सफ़र तय करते समय मेरा पसंदीदा काम है अपने दोस्तों को sms करना और उसके जरिए तार जोड़े रखना. चूँकि राह चलते शोर काफी रहता है, इसलिए फोन पर प्रायः बात नहीं करती हूँ. sms को बेहतर पाती हूँ कि अपनी कह दो और दूसरे को तत्काल परेशान भी न होना पड़े. हालाँकि उसमें भी तुरत जवाब पाने की उम्मीद रहती है और उत्साह बढ़ जाता है जब लगातार कुछ देर तक आदान-प्रदान चलता रहता है.