tag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post376497163556762878..comments2024-03-27T22:32:55.482-07:00Comments on manmaafik: दोपहर (Dopahar by Purwa Bharadwaj)पूर्वा भारद्वाज http://www.blogger.com/profile/10649494298624730183noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-8410059277691024622023-06-13T09:15:25.377-07:002023-06-13T09:15:25.377-07:00टिप्पणी ग़ायब हो गयी । मैं ईमेल लिख सकता हूँ लेकिन...टिप्पणी ग़ायब हो गयी । मैं ईमेल लिख सकता हूँ लेकिन या तो मुझे जोड़नी नहीं आती या विकल्प नहीं मिला । प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद झा कभी-कभी एनडीटीवी टीवी चैनल पर वार्तालाप करने आते थे । <br />एक वर्ष विश्व पुस्तक मेले के नेशनल बुक ट्रस्ट के स्टाल पर मिल गये । इन्हें मैंने इनकी पसंद की पुस्तक पढ़ने के लिये सुझाव माँगा । प्रोफ़ेसर झा ने अपने हाथों से मेरे लिये पुस्तक Mohit Sen An Autobiography निकाल दी । मैंने ऑटोग्राफ़ लिया । हस्ताक्षर हिन्दी भाषा में थे । मैं अपना हस्ताक्षर भी हिन्दी भाषा में लिखता हूँ ।<br />डॉक्टर झा ने अपने घर का मॉरिस नगर, दिल्ली का लिखा और लैंडलाइन फ़ोन भी । मेरा प्रणाम कहें ।<br />इस वर्ष अगस्त 31, 2023 को रिटायर हुए आठ वर्ष हो जाएँगे । दोपहर की नींद का सवाल नहीं ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-17877312962738870542022-10-05T08:28:50.592-07:002022-10-05T08:28:50.592-07:00लिखने का अंदाज़ लाजवाब दिल को छू लेने वाला लिखने का अंदाज़ लाजवाब दिल को छू लेने वाला Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-84786340302580420662022-08-20T18:46:18.702-07:002022-08-20T18:46:18.702-07:00I got the opportunity to know about you through FB...I got the opportunity to know about you through FB via Prof Apoorvanand sb. Concept of Manmaphoc looks very intersting and touchy. I wish this effort and concept should be taken forward and may become an intersting dashboard. Best of luck.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-41904970045401660832022-08-18T03:40:30.421-07:002022-08-18T03:40:30.421-07:00प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद को मेरा सलाम पहुँचा देना । वे...प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद को मेरा सलाम पहुँचा देना । वे बेख़बर हैं कि दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर एक चाहने वाला उनके लिखे और बोले हुए को बार बार पढ़ना और सुनना चाहता है । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-63360680516068233942022-07-07T22:09:59.211-07:002022-07-07T22:09:59.211-07:00वाह----इतनी विस्तारित दोपहरी व्याख्या आनंदित कर गई...वाह----इतनी विस्तारित दोपहरी व्याख्या आनंदित कर गई। प्रतिमाnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8860835351380309291.post-27836162231443795842015-07-05T02:27:14.297-07:002015-07-05T02:27:14.297-07:00बहुत अच्छा लिखा है आपने. एक दोपहर लेकिन हम दोपहर क...बहुत अच्छा लिखा है आपने. एक दोपहर लेकिन हम दोपहर के कॉलेज में पढ़ाने वालों की भी होती है. prabhat ranjanhttps://www.blogger.com/profile/13501169629848103170noreply@blogger.com