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शनिवार, 9 मार्च 2013

क्यों (Kyon by Sanjay Shandilya)

दुबारा जीवन मिले
तो दादी
दादी होना नहीं चाहती

माँ
माँ होना

बीवी भी नहीं चाहती
बीवी होना

बहन नहीं होना चाहती
बहन

बेटी होना
बेटी नहीं चाहती

जीवन के
रेगिस्तानों में
फँसी हुई हैं वे ...

हजार बार भी मिले जीवन
तो मैं
क्यों होना चाहता हूँ
संजय शांडिल्य ?



कवि - संजय शांडिल्य
संकलन - जनपद : विशिष्ट कवि 
संपादक - नन्दकिशोर नवल, संजय शांडिल्य
प्रकाशक - प्रकाशन संस्थान, दिल्ली, 2006

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