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सोमवार, 1 जनवरी 2024

आख़िरी बूँद तक ज़िंदगी (Mahmoud Darwish translated into Hindi)

अगर कोई मुझसे फिर कहे: “मान लो कि तुम कल मरनेवाले हो तो तुम क्या-क्या करोगे?” जवाब देने के लिए मुझे एकदम वक्त नहीं चाहिए होगा। अगर मैं उनींदा महसूस कर रहा होऊँ, मैं सो जाऊँगा। अगर मैं प्यासा होता, मैं पानी पीऊँगा। अगर मैं लिख रहा होता, तो जो लिख रहा होता उसे पसंद करता और सवाल को नज़रअंदाज़ कर देता। अगर मैं ख़ाना खा रहा होता तो मैं ग्रिल्ड मीट की स्लाइस पर थोड़ी सरसों और गोलमिर्च मिलाता। अगर मैं दाढ़ी बना रहा होता, हो सकता है मैं अपने कान की लौ काट लेता। अगर मैं अपनी महबूबा को चूम रहा होता, मैं उसके होठों को खा जाता मानो वे अंजीर हों। अगर मैं पढ़ रहा होता, मैं कुछ पृष्ठ छोड़ देता। अगर मैं प्याज़ छील रहा होता, मैं कुछ आँसू गिराता। अगर मैं चल रहा होता, मैं चलता ही रहता कुछ मंद चाल से। अगर मैं ज़िंदा होता, जैसा मैं अभी हूँ, तो मैं ज़िंदा न होने के बारे में कुछ न सोचता। अगर मैं न होता, तो सवाल मुझे परेशान ही न करता। अगर मैं मोत्ज़ार्ट को सुन रहा होता तो मैं फ़रिश्तों की दुनिया के आसपास होता। अगर मैं सो रहा होता, तो मैं सोता रहता और चैन से गार्डेनिया के सपने देखता रहता। अगर मैं हँस रहा होता, तो मैंने अपनी हँसी बीच में रोक दी होती इस सूचना के लिए सम्मान के चलते। और मैं कर भी क्या सकता था, अगर मैं बहादुर ही होता एक अहमक से अधिक और ताकतवर होता हरक्यूलियस से ज़्यादा?




फ़िलिस्तीनी कवि

अरबी से अंग्रेज़ी अनुवाद : कैथरीन कॉबम

हिंदी अनुवाद: अपूर्वानंद

संकलन : कविता का काम आँसू पोंछना नहीं

प्रकाशन : जिल्द बुक्स, दिल्ली, 2023