Translate

अकबर. मैनेजर पाण्डेय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
अकबर. मैनेजर पाण्डेय लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 2 मार्च 2017

बादशाह अकबर की कविता (Mughal emperor Akbar's Poem)

कान्हाते अब घर झगरो पसारो 
कैसे होय निरवारो। 
यह सब घेरो करत है तेरो रस 
अनरस कौन मंत्र पढ़ डारो।।
मुरली बजाय कीनी सब वोरि 
लाज दई तज अपने अपने में बिसारो। 
तानसेन के प्रभु कहत तुमहिं सों तुम जितो हम हारो।।