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सोमवार, 1 जनवरी 2024
आख़िरी बूँद तक ज़िंदगी (Mahmoud Darwish translated into Hindi)
फ़िलिस्तीनी कवि
अरबी से अंग्रेज़ी अनुवाद : कैथरीन कॉबम
हिंदी अनुवाद: अपूर्वानंद
संकलन : कविता का काम आँसू पोंछना नहीं
प्रकाशन : जिल्द बुक्स, दिल्ली, 2023
रविवार, 31 दिसंबर 2023
आख़िरी ट्रेन रुक गई है (Mahmoud Darwish translated into Hindi)
आख़िरी ट्रेन आख़िरी प्लेटफ़ॉर्म पर रुक गई है। वहाँ कोई नहीं है
गुलाबों को बचाने के लिए, कोई कबूतर नहीं शब्दों से तामीर की गई औरत पर उतरने के लिए।
वक्त ख़त्म हो चुका है। गाना बेहतर नहीं है झाग के मुक़ाबले।
हमारी ट्रेनों पर भरोसा मत करो, प्यारे। भीड़ में किसी का भी इंतज़ार मत करो।
आख़िरी ट्रेन रुक गई है आख़िरी प्लेटफ़ॉर्म पर। लेकिन कोई भी
नारसीसस की छाया नहीं डाल सकता वापस रात के आईनों में।
मैं कहाँ लिख सकता हूँ देह के अवतार का अपना सबसे ताज़ा वृत्तांत?
यह अंत है उसका जिसका अंत होना ही था। वह कहाँ है जिसका अंत होता है?
मैं कहाँ ख़ुद को अपनी देह में अपने वतन से आज़ाद कर सकता हूँ?
हमारी ट्रेनों पर भरोसा मत करो, प्यारे! आख़िरी कबूतर उड़ गया है।
आख़िरी ट्रेन आख़िरी प्लेटफार्म पर रुक गई है। और वहाँ कोई नहीं था।
फ़िलिस्तीनी कवि : ग़स्सान ज़क़तान
अरबी से अंग्रेज़ी: मुनुर अकाश और कैरोलिन फ़ॉश
हिंदी में : अपूर्वानंद
संकलन : कविता का काम आँसू पोंछना नहीं
प्रकाशन : जिल्द बुक्स, दिल्ली, 2023
गुरुवार, 28 दिसंबर 2023
कविता का काम आँसू पोंछना नहीं है ('It is not poetry’s job to wipe away tears by Zakaria Mohammed Translated into Hindi)
वह रो रहा था, इसलिए उसे सँभालने के लिए मैंने उसका हाथ थामा और आँसू पोंछने के लिए
मैंने उसे कहा जब दुख से मेरा गला रुँध रहा था: मैं तुमसे वादा करता हूँ कि इंसाफ़
जीतेगा आख़िरकार, और अमन जल्दी ही क़ायम होगा।
ज़ाहिर है मैं उससे झूठ बोल रहा था। मुझे पता था कि इंसाफ़ नहीं मिलने वाला
और अमन जल्द नहीं आने वाला, पर मुझे उसके आँसू रोकने थे।
मेरी यह समझ ग़लत थी कि अगर हम किसी चमत्कार से
आँसुओं की नदी को रोक लें, तो सब कुछ ठीक ठाक तरह से चल निकलेगा।
फिर चीज़ों को हम वैसे ही मान लेंगे जैसी वे हैं। क्रूरता और इंसाफ़ एक साथ मैदान में
घास चरेंगे, ईश्वर शैतान का भाई निकलेगा, और शिकार हत्यारे का प्रेमी होगा।
पर आँसू रोकने का कोई तरीक़ा नहीं है। वे बाढ़ की तरह लगातार बहे जाते हैं और अमन की
रवायतों को तबाह कर देते हैं।
और इसलिए, आँसुओं की इस कसैली ज़िद की ख़ातिर, आइए, आँखों का अभिषेक करें
इस धरती के सबसे पवित्र संत के रूप में।
कविता का काम नहीं है आँसू पोंछना।
कविता को खाई खोदनी चाहिए जिसका बाँध वे तोड़ दें और इस ब्रह्मांड को डुबा दें।
फ़िलिस्तीनी कवि : ज़करिया मोहम्मद
अरबी से अंग्रेज़ी : लीना तुफ़्फ़ाहा
हिंदी अनुवाद : निधीश त्यागी और अपूर्वानंद
संकलन : कविता काम आँसू पोंछना नहीं
प्रकाशन : जिल्द प्रकाशन, दिल्ली, 2023
रविवार, 8 अक्टूबर 2023
काफ़ी है मेरे लिए (Enough for Me by Fadwa Tuqan, Hindi translation by Apoorvanand)
काफ़ी है उसकी ज़मीन पर मरना
उसमें दफ़्न होना
घुलना और ग़ायब हो जाना उसकी मिट्टी में
और फिर खिल पड़ना एक फूल की शक्ल में
जिससे एक बच्चा खेले मेरे वतन का।
काफ़ी है मेरे लिए रहना
अपने मुल्क के आग़ोश में
उसमें रहना करीब मुट्ठी भर मिट्टी की तरह
घास के एक गुच्छे की तरह
एक फूल की तरह।
फ़िलिस्तीनी कवयित्री - फ़दवा तुक़ान (Fadwa Tuqan, 1917-2003)
स्रोत - https://www.milleworld.com/palestinian-poems-resistance/
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
रविवार, 19 मार्च 2023
चीज़ें और हम (by Mahmoud Darwish, translated into Hindi)
मंगलवार, 3 जनवरी 2023
यात्रा (The Journey by Mary Oliver translated from English)
एक दिन आख़िरकार तुम जान ही गए कि तुम्हें क्या करना है
और तुमने शुरू किया
हालाँकि तुम्हारे चारों ओर
चीखती हुई आवाज़ें देती रहीं बदसलाह
पूरा घर
डगमगाने लगा
और तुमने कुहनियों पर महसूस की पहचानी हुई टहोक
“मेरी ज़िंदगी को ठीक करो”
हर आवाज़ चीखती रही।
लेकिन तुम नहीं रुके।
तुम्हें मालूम था कि तुम्हें क्या करना है
हालाँकि हवाएँ अपनी सख़्त उँगलियों से
बुनियाद टटोल रही थीं
हालाँकि भीषण था उनका विषाद
पहले ही काफ़ी देर हो चुकी थी, और तूफ़ानी रात थी
और सड़क गिरी हुई शाखाओं और पत्थरों से अटी
लेकिन धीरे धीरे जैसे तुमने उनकी आवाज़ों को पीछे छोड़ा
तारे बादलों के पर्दों के पीछे से
प्रज्ज्वलित होने लगे
और एक नई आवाज़
जिसे तुमने धीरे धीरे अपनी पहचाना अपनी आवाज़
जिसने तुम्हारा साथ दिया
जैसे जैसे तुम गहरे और गहरे
उतरते गए इस दुनिया में
वह करने को बज़िद
जो तुम ही कर सकते थे
बज़िद बचाने को वह एक जान
जो तुम ही बचा सकते थे।
अमेरिकी कवयित्री - मेरी ओलिवर (10.9.1935 – 17.1.2019)
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
स्रोत - http://www.phys.unm.edu/~tw/
http://thepracticelondon.org/poetry/poems-of-transformation-the-journey-by-mary-oliver/#:~:text=%E2%80%93Mary%20Oliver,reflection%20of%20your%20own%20story.
शनिवार, 20 अगस्त 2022
जो बचा रह गया (The Survivor by Tadeusz Różewicz In Hindi)
मैं चौबीस का हूँ
क़त्ल को ले जाया गया
मैं बच गया।
जो आगे दिए जा रहे हैं वे खाली (अर्थहीन) पर्यायवाची हैं:
मनुष्य और पशु
प्रेम और घृणा
मित्र और शत्रु
अंधकार और प्रकाश।
मनुष्यों और पशुओं को मारने का तरीक़ा एक ही है
मैंने यह देखा है:
ट्रक काट डाले गए आदमियों से ठुँसे हुए
जो बचाए नहीं जाएँगे।
विचार मात्र शब्द हैं:
भलाई और अपराध
सच और झूठ
सुंदरता और कुरूपता
साहस और कायरता।
भलाई और अपराध एक ही बराबर हैं
मैंने यह देखा है:
उस आदमी में जो दोनों ही था
अपराधी और भला।
मैं खोज रहा हूँ एक अध्यापक और गुरु
काश वह मेरी दृष्टि सुनने की ताक़त और वाणी बहाल कर दे वापस
काश वह फिर से नाम दे वस्तुओं और विचारों को
काश वह अलग करे अंधकार को प्रकाश से।
मैं चौबीस का हूँ
क़त्ल को ले जाया गया
मैं बच गया।
पोलिश कवि - तादयूश रुज़ेविच
संग्रह - 'होलोकास्ट पोएट्री'
संकलन और प्रस्तावना - हिल्डा शिफ़
पोलिश से अंग्रेज़ी अनुवाद - ऐडम ज़ेर्निआव्स्की
प्रकाशक - सेंट मार्टिन्स ग्रिफिन, 1995
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
सोमवार, 11 जुलाई 2022
यह क़ब्रिस्तान है (THIS IS A CEMETERY BY OLAF D. EYBE)
वह नन्हीं स्वीडिश लड़की
फूल चुन रही है
ऊँची घास में
बिरकेनाऊ कैम्प की
में उसे ऐसा करने से रोकना
चाहता हूँ
यह क़ब्रिस्तान है
लेकिन मैं ख़ामोश रह जाता
हूँ
यह क़ब्रिस्तान है
मैं क्या कहूँ उस अमरीकी से
जो अभी अभी पहुँचा है ऑश्वित्ज़
से
बिरकेनाऊ में और पूछ रहा है
क्या यह ऑश्वित्ज़ है?
मैं सोचता हूँ कि क्या उसे
मालूम है
मित्र देशों को मालूम था एकदम
शुरू में ही
लेकिन उन्होंने इसके बारे
में कुछ नहीं किया
यह क़ब्रिस्तान है
जर्मन कवि - OLAF D. EYBE (1963-2021)
जर्मन भाषा से अंग्रेज़ी अनुवाद - क्रिस्टोफ़र मुलर
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
संग्रह - The Auschwitz Poems
संकलन और संपादन - Adam A. Zych
प्रकाशन - THE AUSCHWITZ-BIRKENAU STATE MUSEUM, 1999
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी के नियंत्रण वाले पोलैंड में ऑश्वित्ज़ नाज़ियों का बनाया यातना शिविर और क़त्लगाह था। उसके अनेकानेक यातना शिविरों में से बिरकेनाऊ सबसे अधिक बड़ा और कुख्यात था।
सोमवार, 27 जून 2022
विदूषक (Clowns by Miroslav Holub translated in Hindi)
विदूषक कहाँ जाते हैं?
विदूषक कहाँ सोते हैं?
विदूषक क्या खाते हैं?
विदूषक क्या करते हैं
जब कोई नहीं
कोई नहीं क़तई
हँसता है अब और
अम्माँ?
चेक कवि - मिरोस्लाव होलुब, 1961
संग्रह - पोएम्स : बिफोर एंड आफ्टर
चेक से अंग्रेज़ी अनुवाद - एवाल्ड (Ewald Osers)
प्रकाशन - ब्लडैक्स बुक्स, ग्रेट ब्रिटेन, 1990
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
सोमवार, 20 जून 2022
लुकाछिपी (Hide-And-seek by Vasko Popa translated in Hindi)
सर्बियाई कवि वास्को पोपा (29.6.22 - 5.6.91)
स्रोत : https://mypoeticside.com/poets/vasko-popa-poems
रविवार, 19 जून 2022
जीना 2 (On Living by Nazim Hikmet, translated In Hindi)
मान लें कि हम सख़्त बीमार हैं, हमें ज़रूरत है सर्जरी की -
जिसका मतलब यह है कि मुमकिन है कि हम उतर न पाएँ
उस उजली मेज़ से।
हालाँकि नामुमकिन है उदासी न महसूस करना
सोचकर कुछ जल्दी जाने के ख़याल से,
फिर भी हम हँसेंगे चुटकुलों पर,
हम खिड़की के बाहर देखेंगे जानने को कि बारिश हो रही है -
और बेचैनी से इंतज़ार करेंगे
सबसे ताज़ा ख़बर का .. .
मान लें कि हम मोर्चे पर हैं -
ऐसी जंग के लिए जो लड़ने लायक है और मान लो
वहाँ, उस पहले हमले में, पहले
ही दिन
हम अपने मुँह के बल गिर पड़ें, मृत।
हम इसे जानेंगे एक विचित्र क्रोध के साथ,
फिर भी हम फ़िक्र में मरते रहेंगे
जंग के नतीजों को लेकर, जो हो सकता है सालो साल चले।
मान लें कि हम जेल में हैं
और पचास के क़रीब हैं,
और मान लो हमारे पास हैं और अठारह
साल ,
इसके पहले कि लोहे के फाटक खुलें,
फिर भी हम रहेंगे उस बाहर के साथ,
उसके लोगों और जानवरों, जद्दोजहद
और हवा के साथ —
मेरा मतलब है बाहर के साथ दीवारों के पार
मेरा मतलब है जैसे भी और जहाँ भी हम हैं
हमें जीना ही चाहिए मानो कि हम कभी नहीं मरेंगे।
तुर्की कवि नाज़िम हिकमत (1902-1963)
स्रोत : /poets.org/poem/living
मूल संकलन : Poems of Nazim Hikmet
तुर्की से अंग्रेज़ी अनुवाद : Randy Blasing and Mutlu
Konuk
प्रकाशन : Persea Books
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद : अपूर्वानंद
आज पूरे 10 साल हुए मनमाफ़िक शुरू किए हुए। 19 जून की दोपहर अनाड़ी की तरह ब्लॉग शुरू किया था अपने दोस्त कब्बू से पूछ-पूछ कर। पहले दो दिन तो ब्लॉग सिर्फ मुझे दिख रहा था। कब्बू से अपनी परेशानी बताई तो उसने सेटिंग में जाकर सर्च इंजन के सामने ला दिया था। उसके बाद मज़ा दुगुना-तिगुना-चौगुना बढ़ता गया। नशे-सा। फिर बीच में मेरा उत्साह जाता रहा कई वजहों से। मनमाफ़िक न कविता मिलती थी, न मन था। इसके बावजूद ब्लॉग ने ही मुझे कुछ-कुछ लिखने की जगह दी जो न कविता है न कहानी।
अब ब्लॉग पर वापस आई हूँ और उम्मीद कर रही हूँ कि इसकी रफ़्तार बनाए रखूँ। आज चंडीगढ़ से आते हुए ट्रेन में अपूर्वानंद ने मनमाफ़िक के लिए अनुवाद किया। इंटरनेट की गति के कारण मुश्किल पेश आई तो अनुवाद की फ़ोटो भेजी और तब उसे टाइप किया मैंने। फ़ॉण्ट और फ़ॉर्मैटिंग की समस्या ने उलझा रखा था, मगर कविता इतनी प्यारी है कि मन आनंदित है।
शुक्रवार, 17 जून 2022
जीना 1 (On Living by Nazim Hikmet, translated In Hindi)
1. जीना कोई हँसी-खेल नहीं
तुम्हें पूरी गंभीरता से जीना चाहिए
उदाहरण के लिए, एक गिलहरी की तरह
मेरा मतलब है जीने
के आगे और ऊपर किसी चीज़ की उम्मीद के बग़ैर,
मेरा मतलब है जीना ही तुम्हारा पूरा काम होना
चाहिए
जीना कोई हँसी-खेल नहीं
तुम्हें इसे गंभीरता से लेना चाहिए,
इतना और इतनी हद तक कि
जैसे तुम्हारे हाथ
बँधे हों तुम्हारी पीठ के पीछे,
और तुम्हारी पीठ लगी हो दीवार
से
या फिर किसी प्रयोगशाला
में,
अपने सफ़ेद
कोट और सुरक्षा कवच में
तुम मर सकते हो लोगों के लिए -
यहाँ तक कि उन लोगों के लिए भी जिनके चेहरे तुमने कभी नहीं देखे
हालाँकि तुम जानते
हो कि जीना
सबसे असल, सबसे सुंदर चीज़ है।
मेरा मतलब है तुम्हें
जीने को इतनी गंभीरता से लेना चाहिए
कि सत्तर की उम्र में भी, उदाहरण के लिए, तुम ज़ैतून के दरख़्त लगाओगे
अपने बच्चों
के लिए नहीं क़तई
बल्कि इसलिए कि हालाँकि
तुम डरते हो मृत्यु से तुम उसपर यक़ीन नहीं करते
क्योंकि जीना, मेरा मतलब है अधिक वज़नी ठहरता
है।
तुर्की कवि नाज़िम हिकमत (1902-1963)
स्रोत : /poets.org/poem/living
मूल संकलन : Poems of Nazim Hikmet
तुर्की से अंग्रेज़ी अनुवाद : Randy Blasing and Mutlu Konuk
प्रकाशन : Persea Books
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद : अपूर्वानंद
इस खूबसूरत कविता के एक अंश का अनुवाद करके थोड़ी देर पहले अपूर्व ने चंडीगढ़ से भेजा। यात्रा और दसियों काम के बाद देर रात इस कविता ने कितना सुकून दिया होगा, इसका अंदाजा लगा सकती हूँ। मारने-मरने, उजाड़ने की खबरों के बीच, रोज़ाना की आपाधापी, निराशा और उदासी के बीच यह ज़िंदगी में लौटने का न्यौता है।

मंगलवार, 14 जून 2022
धरती (Earth Poem by Mahmoud Darwish, translated in Hindi)
रविवार, 12 जून 2022
मैं भरी हुई हूँ खालीपन के ख़याल से पूरी (Smoke Bloom by Nadia Anjuman)
मैं भरी हुई हूँ खालीपन के
ख़याल से
पूरी।
एक विस्तृत अकाल
मेरी आत्मा के बुखार से तप
रहे मैदानों में मुझे खौलाता है
और यह अजीब जलहीन उबाल
मेरी कविता की छवि में जीवन
उमगाता है.
मैं निहारती हूँ इस नई-जीवित
तस्वीर को
एक विलक्षण गुलाब की
पूरे पृष्ठ पर फैली हुई लजाहट
को।
लेकिन अभी पहली साँस ही ली
है उसने
कि धुएँ के बादल
उसके चेहरे को धुँधला करने
लगते हैं
और धुँआ उसकी सुगन्धित त्वचा
को ग्रस लेता है।
अफ़ग़ानी कवयित्री - नादिया अंजुमन
काव्य संग्रह - गुले दूदी (धुएँ का फूल)
फ़रज़ाना मेरी के अंग्रेज़ी अनुवाद
से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
शनिवार, 2 फ़रवरी 2019
जब मौत आए (When death comes by Mary Oliver)
पतझड़ के भूखे भालू की तरह;
जब मौत आए
और अपने बटुए से
सारे चमकीले सिक्के निकाल ले
मुझे खरीदने के लिए, और चट
अपना बटुआ बंद कर दे;
जब मौत आए
चेचक की तरह
जब मौत आए
हिमखंड की तरह
कंधे की हड्डियों (पंखुड़ों) के बीच,
मैं उस दरवाज़े से गुजरना चाहती हूँ भरी हुई
कौतूहल से, सोचती हुई
आखिर कैसी होगी वह कुटिया
अँधेरे की?
और इसीलिए मैं हर चीज़ को देखती हूँ
भाईचारे और बहनापे की तरह,
और मेरे लिए वक्त
एक ख्याल से अधिक कुछ नहीं,
और मैं अनंत को
एक और संभावना मानती हूँ,
और मैं हर ज़िंदगी को
एक फूल की देखती हूँ, उतनी ही आम
जितनी मैदान की वह डेज़ी, और उतनी ही
एकल
और हर नाम
होठों पर एक आरामदेह गीत
सहलाता हुआ, जैसा हर संगीत करता है, खामोशी की तरफ,
और हर शरीर
बहादुर शेर, और
इस ज़मीन के लिए कीमती.
जब यह खत्म हो जाएगा, मैं चाहती हूँ
कहना कि तमाम ज़िंदगी
मैं दुल्हन रही अचरज की.
मैं दूल्हा थी
दुनिया को अपनी बाँहों में लेती हुई.
जब यह खत्म हो जाएगा, मैं नहीं चाहती सोचना
कि क्या मैंने अपनी ज़िंदगी को कुछ ख़ास बनाया, और हक़ीक़ी।
मैं नहीं चाहती खुद को देखना आहें भरते
और भयभीत।
मैं नहीं चाहती
खत्म होना ऐसे शख्स की तरह जो
इस दुनिया में सिर्फ आया.
निधीश त्यागी के सौजन्य से
18 जनवरी, 2019
अनुवाद - अपूर्वानंद
गुरुवार, 16 अगस्त 2018
उदासीन बंदा (The Indifferent One by Mahmoud Darwish)
उसे किसी चीज़ से फ़र्क़ नहीं पड़ता। अगर वे उसके घर का पानी काट दें,
वह कहेगा, “ कोई बात नहीं, जाड़ा क़रीब है।”
और अगर वे घंटे भर के लिए बिजली रोक दें वह उबासी लेगा:
“कोई बात नहीं, धूप काफ़ी है”
अगर वे उसकी तनख़्वाह में कटौती की धमकी दें, वह कहेगा,
“कोई बात नहीं! मैं महीने भर के लिए शराब और तमाखू छोड़ दूँगा।”
और अगर वे उसे जेल ले जाएँ,
वह कहेगा, “कोई बात नहीं, मैं कुछ देर अपने साथअकेले रह पाऊँगा, अपनी यादों के साथ।”
और अगर उसे वे वापस घर छोड़ दें, वह कहेगा,
“कोई बात नहीं, यही मेरा घर है।”
मैंने एक बार ग़ुस्से में कहा उससे, कल कैसे रहोगे तुम?”
उसने कहा, “कल की मुझे चिंता नहीं। यह एक ख़याल भर है
जो मुझे लुभाता नहीं। मैं हूँ जो मैं हूँ: कुछ भी बदल नहीं सकता मुझे, जैसे कि मैं कुछ नहीं बदल सकता,
इसलिए मेरी धूप न छेंको।”
मैंने उससे कहा, “न तो मैं महान सिकंदर हूँ
और न मैं (तुम?) डायोजिनिस”
और उसने कहा, “लेकिन उदासीनता एक फ़लसफ़ा है
यह उम्मीद का एक पहलू है।”
फ़िलीस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - Unfortunately, It was Paradise
प्रकाशन- यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निआ प्रेस, 2003
अनुवाद एवं संपादन - Munur Akash and Carolyn Forche
with Simon Antoon and Amira El-Zein
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
बुधवार, 15 अगस्त 2018
हम एक जन बन सकेंगे (By Mahmoud Darwish)
हम एक जन हो सकेंगे, अगर हम चाहें, जब हम सीख लेंगे कि
हम फ़रिश्ते नहीं, और शैतानियत सिर्फ़ दूसरों का विशेषाधिकार नहीं
हम एक जन हो सकेंगे, जब हम हर उस वक़्त पवित्र राष्ट्र को शुक्राना देना बंद करेंगे जब भी एक ग़रीब शख़्स को रात की एक रोटी मिल जाए
हम एक जन बन सकेंगे जब जब हम सुल्तान के चौकीदार और सुल्तान को बिना मुक़दमे के ही पहचान लेंगे
हम एक जन बन सकेंगे जब एक शायर एक रक्कासा की नाभि का वर्णन कर सकेगा,
हम एक जन बन सकेंगे जब हम भूल जाएँगे कि हमारे क़बीले ने क्या कहा है हमें, और जब वाहिद शख़्स छोटे ब्योरे की अहमियत भी पहचान सकेगा
हम एक जन बन सकेंगे जब एक लेखक सितारों की ओर सर उठा कर देख सकेगा, बिना यह कहे कि हमारा देश अधिक महान है और अधिक सुंदर
हम एक जन बन सकेंगे जब नैतिकता के पहरेदार सड़क पर एक तवायफ़ को हिफ़ाज़त दे पाएँगे पीटने वालों से
हम एक जन बन पाएँगे जब फ़िलीस्तीनी अपने झंडे को सिर्फ़ फ़ुटबाल के मैदान में, ऊँट दौड़ में और नकबा के रोज़ याद करे
हम एक जन बन सकेंगे अगर हम चाहें, जब गायक को एक दो माखन के लोगों की शादी के वलीमा पर सूरत अल रहमान पढ़ने की इजाज़त हो
हम एक जन बन सकेंगे जब हमें तमीज हो सही और ग़लत की
फ़िलीस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - A River Dies Of Thirst
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
मंगलवार, 14 अगस्त 2018
मैं कुछ अधिक बात करता हूँ (I Talk Too Much by Mahmoud Darwish)
मैं कुछ अधिक बात करता हूँ औरतों और वृक्षों के बीच की बारीकी के बारे में,
पृथ्वी के जादू के बारे में,
मैं पूछता हूँ: क्या यह सच है भली देवियो और सज्जनो,
जैसा आप कहते हैं? वैसी हालत में कहाँ है मेरी नन्हीं कुटिया और कहाँ हूँ मैं?
तीन मिनट आज़ादी के और मान्यता के,
कॉन्फ़रेंस हमारे लौटने के अधिकार को स्वीकार करती है ,
सारी मुर्ग़ियों और घोड़ों की तरह, पत्थर से बने सपने में।
मैं उनसे हाथ मिलाता हूँ, एक एक करके। मैं सलाम करता हूँ उन्हें।
और फिर मैं दूसरे मुल्क को अपना सफ़र जारी रखता हूँ
और बात करता रहता हूँ मृगमरीचिका और बरसात के बीच के अंतर के बारे में।
मैं पूछता हूँ: क्या यह सच है भली देवियो और सज्जनो,
कि यह इंसान की धरती सभी मनुष्यों के लिए है?
फ़िलीस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - Unfortunately, It was Paradise
प्रकाशन- यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निआ प्रेस, 2003
अनुवाद एवं संपादन - Munur Akash and Carolyn Forche
with Simon Antoon and Amira El-Zein
अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद
मंगलवार, 24 जून 2014
मस्तिष्क का हृदय (Mind's Heart by Robert Creeley)
रविवार, 22 जून 2014
आह प्यार (Oh love by Robert Creeley)
अमेरिकी कवि - रॉबर्ट क्रीली (21.3.1926 - 30. 3. 2005) संकलन - रॉबर्ट क्रीली : सेलेक्टेड पोएम्स 1947-1980 प्रकाशक - यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया प्रेस, बर्कले, 1996 अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद