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बुधवार, 31 अगस्त 2022

ढलती हुई आधी रात (Dhalati hui aadhi raat by Firaq Gorakhpuri)


ये कैफ़ो-रंगे-नज़ारा, ये बिजलियों की लपक 
कि जैसे कृष्ण से राधा की आंख इशारे करे 
वो शोख इशारे कि रब्बानियत भी जाये झपक 
जमाल सर से क़दम तक तमाम शोअला है 
सुकूनो-जुंबिशो-रम तक तमाम शोअला है 
मगर वो शोअला कि आंखों में डाल दे ठंडक 


कैफ़ो-रंगे-नज़ारा - दृश्य की मादकता और रंग 
रब्बानियत - परमात्मा 
जमाल - सौंदर्य 
सुकूनो-जुंबिशो-रम - निश्चलता, गति और भाग-दौड़ 


शायर - फ़िराक़ गोरखपुरी
संकलन - उर्दू के लोकप्रिय शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी
संपादक - प्रकाश पंडित
प्रकाशक - हिन्द पॉकेट बुक्स, दिल्ली, नवीन संस्करण 1994 

सोमवार, 26 मई 2014

तलाशे-हयात (Talashe-hayat by Firaq Gorakhpuri)


यमन-यमन अदन-अदन
कली-कली चमन-चमन 
बसोज़े-इश्क़े-शोला-ज़न 
बसाज़े-हुस्न गुल-बदन 
ब मश्क़े -आहू-ए-ख़तन 
ब गेसू-ए-शिकन-शिकन 
ब शीरीं-ओ-ब कोहकन 
ब दास्ताने-नल-दमन 
ब नरगिसे-पियाला-ज़न 
ब रू-ए-सायक़ा-फ़िगन 
ब हर नफ़सो-हर सुखन 
ब हाए-ओ-हू-ए-मा दमन 
ज़मीं-ज़मीं ज़मन-ज़मन 
सफ़र-सफ़र वतन-वतन 
ब दैर-साज़ो-बुत-शिकन 
ब ज़ौक़े-शेखो-बिरहमन 
ब हक़ ब क़ुफ़्रे-शोला-ज़न 
ब हर ख़ुदा-ओ-अहरमन 
हयात ढूँढ़ते चलो, हयात ढूँढ़ते चलो 

शायर - फ़िराक़ गोरखपुरी 
संकलन - मन आनम 
('नुक़ूश' के संपादक मुहम्मद तुफ़ैल के पत्र)
लिप्यंतरण - प्रदीप 'साहिल'
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2001



बुधवार, 20 मार्च 2013

रात गये (Raat gaye by Firaq Gorakhpuri)



ये रात !  हवाओं की सोंधी सोंधी महक 
ये खेल करती हुई चांदनी की नर्म दमक 
सुगंध 'रात की रानी' की जब मचलती है 
फ़ज़ा में रूहे-तरब करवटें बदलती हैं 
ये रूप सर से क़दम तक हसीं जैसे गुनाह 
ये आरिज़ों की दमक, ये फ़ुसूने-चश्मे-सियाह 
ये धज न दे जो अजन्ता की सनअतों को पनाह 
ये सीना, पड़ ही गई देवलोक की भी निगाह 
ये सरज़मीन है आकाश की परस्तिश-गाह 
उतारते हैं तेरी आरती सितारा-ओ-माह 
सिजल बदन की बयां किस तरह हो कैफ़ीयत 
सरस्वती के बजाये हुए सितार की गत 
जमाले-यार तेरे गुलिस्तां की रह रह के 
जबीने-नाज़ तेरी कहकशां की रह रह के 
दिलों में आईना-दर-आईना सुहानी झलक 


रूहे-तरब = आह्लाद की आत्मा        आरिज़ों = कपोलों  
फ़ुसूने-चश्मे-सियाह = काली आंखों का जादू        सनअतों = कलाओं 
सरज़मीन = धरती        सितारा-ओ-माह = चांद-सितारे 
जमाले-यार = प्रेयसी की सुन्दरता        जबीने-नाज़ = प्रेयसी का माथा   
 कहकशां = आकाशगंगा  

शायर - फ़िराक़ गोरखपुरी 
संकलन - उर्दू के लोकप्रिय शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी 
संपादक - प्रकाश पंडित 
प्रकाशक - हिन्द पॉकेट बुक्स, दिल्ली,