कान्हाते अब घर झगरो पसारो
कैसे होय निरवारो।
यह सब घेरो करत है तेरो रस
अनरस कौन मंत्र पढ़ डारो।।
मुरली बजाय कीनी सब वोरि
लाज दई तज अपने अपने में बिसारो।
तानसेन के प्रभु कहत तुमहिं सों तुम जितो हम हारो।।
कवि - अकबर
किताब - मुग़ल बादशाहों की हिन्दी कविता
संकलन एवं संपादन - मैनेजर पाण्डेय
प्रकाशन - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2016
कैसे होय निरवारो।
यह सब घेरो करत है तेरो रस
अनरस कौन मंत्र पढ़ डारो।।
मुरली बजाय कीनी सब वोरि
लाज दई तज अपने अपने में बिसारो।
तानसेन के प्रभु कहत तुमहिं सों तुम जितो हम हारो।।
कवि - अकबर
किताब - मुग़ल बादशाहों की हिन्दी कविता
संकलन एवं संपादन - मैनेजर पाण्डेय
प्रकाशन - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2016
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