मैं डरता हूँ मुसर्रत से
कहीं ये मेरी हस्ती को
परीशाँ, कायनाती नग्म-ए-मुबहम में उलझा दे
कहीं ये मेरी हस्ती को बना दे ख़्वाब की सूरत !
मेरी हस्ती है इक ज़र्रा
कहीं ये मेरी हस्ती को चखा दे मेह्रे-आलमताब का नश्शा !
सितारों का अलमबरदार कर देगी मुसर्रत मेरी हस्ती को
अगर फिर से उसी पहली बलन्दी से मिला देगी
तो मैं डरता हूँ - डरता हूँ
कहीं ये मेरी हस्ती को बना दे ख़्वाब की सूरत !
मैं डरता हूँ मुसर्रत से
कहीं ये मेरी हस्ती को
भुलाकर तल्खियाँ सारी
बना दे देवताओं सा
तो फिर मैं ख़्वाब ही बनकर गुज़ारूँगा
जमाना अपनी हस्ती का।
मुसर्रत = आनंद
हस्ती = जीवन, अस्तित्व
परीशाँ = बिखरा हुआ
कायनाती = सृष्टि में व्याप्त
नग्म-ए-मुबहम = अस्पष्ट गीत
मेह्रे-आलमताब = दुनिया को आलोकित करनेवाला सूरज
अलमबरदार = ध्वजवाहक
तल्खियाँ = कड़वाहटें
शायर - मीराजी
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : मीराजी
संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
कहीं ये मेरी हस्ती को
परीशाँ, कायनाती नग्म-ए-मुबहम में उलझा दे
कहीं ये मेरी हस्ती को बना दे ख़्वाब की सूरत !
मेरी हस्ती है इक ज़र्रा
कहीं ये मेरी हस्ती को चखा दे मेह्रे-आलमताब का नश्शा !
सितारों का अलमबरदार कर देगी मुसर्रत मेरी हस्ती को
अगर फिर से उसी पहली बलन्दी से मिला देगी
तो मैं डरता हूँ - डरता हूँ
कहीं ये मेरी हस्ती को बना दे ख़्वाब की सूरत !
मैं डरता हूँ मुसर्रत से
कहीं ये मेरी हस्ती को
भुलाकर तल्खियाँ सारी
बना दे देवताओं सा
तो फिर मैं ख़्वाब ही बनकर गुज़ारूँगा
जमाना अपनी हस्ती का।
मुसर्रत = आनंद
हस्ती = जीवन, अस्तित्व
परीशाँ = बिखरा हुआ
कायनाती = सृष्टि में व्याप्त
नग्म-ए-मुबहम = अस्पष्ट गीत
मेह्रे-आलमताब = दुनिया को आलोकित करनेवाला सूरज
अलमबरदार = ध्वजवाहक
तल्खियाँ = कड़वाहटें
शायर - मीराजी
संकलन - प्रतिनिधि शायरी : मीराजी
संपादक - नरेश 'नदीम'
प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
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