कितने तुच्छ हैं हम
और कितने उतावले
और कितना कड़वा बोलते हैं हम
जबकि सिर्फ़ एक मकड़ा
पूरी रात टंगा रहा उसी एक जगह,
गुसलखाने के एक कोने में
हे आठ टांगों वाले धैर्यवान !
ख़ामोश गवाह
‘गुड मोर्निंग’
हम गिरते हैं
और खिरते हैं,
जब भी कोई शिखर प्रतिमान होता है भ्रष्ट I
कवि – निना कास्सिआन
संकलन- सच लेता है आकार, समकालीन
रोमानियाई कविता
संपादन – आन्दीआ देलेतान्त, ब्रेंडा
वाकर
हिंदी अनुवाद – रणजीत साहा
प्रकाशन – साहित्य आकादमी, 2002
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