मुश्किल है जान पाना कि क्या करें इतनी सारी ख़ुशी के साथ
दुख के साथ कुछ तो रहता है रगड़ने के लिए
मरहम और कपड़े से एक ज़ख़्म का ख़्याल रखना
जब आसपास की दुनिया गिर पड़े, तो उसके टुकड़े तुम्हें उठाने पड़ेंगे
अपने हाथों में पकड़ने के लिए कुछ…जैसे फाड़े गए टिकट या रेज़गारी।
पर ख़ुशी तैरती है।
उसे तुम्हारी ज़रूरत नहीं कि पकड़ और दबा कर रखो
उसे किसी बात की ज़रूरत नहीं।
ख़ुशी अगले मकान की छत पर चली जाती है गाती हुई
और ग़ायब हो जाती है, अगर चाहे तो।
तुम तो ऐसे भी खुश हो वैसे भी।
कि कभी तुम एक पेड़ पर बने शांत मकान में रहते थे
और अब शोर और धूल की खुली खदान के ऊपर
तुम्हें नाखुश नहीं कर सकती।
हर चीज़ की अपनी ज़िंदगी है
वह कॉफ़ी केक और पके आड़ुओं की संभावना के साथ जाग सकती है...
और उस फ़र्श से भी प्यार कर सकती है, जिसपर झाड़ू लगाई जानी है... दाग़दार कपड़ों और खरखराते रिकार्ड्स से भी
क्योंकि कोई भी जगह इतनी बड़ी नहीं कि
ख़ुशी को भर ले, तुम कंधे उचकाते हो,
हाथ फैलाते हो और वह तुमसे तैरती हुई निकल जाती है
हर उस चीज़ में जिसे तुम छूते हो,
उसके लिए तुम ज़िम्मेदार नहीं
कोई श्रेय तुम नहीं लेते, जैसे रात का आसमान श्रेय नहीं लेता
चाँद का, पर पकड़े रखता है और बाँटता रहता है
और इस तरह से जाना जाता है।
फ़िलिस्तीनी-अमरीकी कवयित्री : नाओमी शिहाब न्ये
मूल अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद: निधीश त्यागी
संकलन : कविता का काम आँसू पोंछना नहीं
प्रकाशन : जिल्द बुक्स, दिल्ली, 2023
मूल अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद: निधीश त्यागी
संकलन : कविता का काम आँसू पोंछना नहीं
प्रकाशन : जिल्द बुक्स, दिल्ली, 2023
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