लड़की हरे भरे पेड़ देखती है
तो उसे आकाश दिख जाता है।
ऊंचे ऊंचे मिले जुले मकान देखती है
तो आकाश दिख जाता है।
लड़की चाहे पेड़ न देखे
पेड़ पर बैठी चिड़िया देखे
उसे आकाश दिख जाता है।
घर की खिड़की घंटों बंद रखे
बस थोड़ी सी खोले
या भूल से
सड़क पर निकल आये
दांये जाये या बांये
उसे आकाश दिख जाता है।
लड़की बहुत परेशान है।
- 1964
कवि - विनोदकुमार शुक्ल
संकलन - वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह
प्रकाशन - आधार प्रकाशन, पंचकूला, 1996 (प्रथम संस्करण 1981)