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मंगलवार, 3 जनवरी 2023

यात्रा (The Journey by Mary Oliver translated from English)

एक दिन आख़िरकार तुम जान ही गए कि तुम्हें क्या करना है 

और तुमने शुरू किया

हालाँकि तुम्हारे चारों ओर

चीखती हुई आवाज़ें देती रहीं बदसलाह 

पूरा घर 

डगमगाने लगा

और तुमने कुहनियों पर महसूस की पहचानी हुई टहोक

“मेरी ज़िंदगी को ठीक करो”

हर आवाज़ चीखती रही।

लेकिन तुम नहीं रुके।

तुम्हें मालूम था कि तुम्हें क्या करना है 

हालाँकि हवाएँ अपनी सख़्त उँगलियों से 

बुनियाद टटोल रही थीं

हालाँकि भीषण था उनका विषाद 

पहले ही काफ़ी देर हो चुकी थी, और तूफ़ानी रात थी 

और सड़क गिरी हुई शाखाओं और पत्थरों से अटी

लेकिन धीरे धीरे जैसे तुमने उनकी आवाज़ों को पीछे छोड़ा

तारे बादलों के पर्दों के पीछे से 

प्रज्ज्वलित होने लगे 

और एक नई आवाज़ 

जिसे तुमने धीरे धीरे अपनी पहचाना अपनी आवाज़ 

जिसने तुम्हारा साथ दिया 

जैसे जैसे तुम गहरे और गहरे 

उतरते गए इस दुनिया में 

वह करने को बज़िद 

जो तुम ही कर सकते थे 

बज़िद बचाने को वह एक जान 

जो तुम ही बचा सकते थे।


अमेरिकी कवयित्री - मेरी ओलिवर (10.9.1935 – 17.1.2019) 

अंग्रेज़ी से हिंदी अनुवाद - अपूर्वानंद 

स्रोत - http://www.phys.unm.edu/~tw/fas/yits/archive/oliver_thejourney.html

http://thepracticelondon.org/poetry/poems-of-transformation-the-journey-by-mary-oliver/#:~:text=%E2%80%93Mary%20Oliver,reflection%20of%20your%20own%20story.



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