हमसे कम परवाह है जब हम उन्हें छोड़ते हैं
एक मुसाफ़िर विलाप करता है,और नदी उस पर हँसती है
गुज़र जाओ, क्योंकि कोई नदी तक़रीबन वैसी ही होती है आरंभ में जैसी वह अंत में होती है
कुछ भी इंतज़ार नहीं करता, चीज़ें उदासीन हैं
हमारे प्रति, हम उनका अभिनंदन करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञ होते हैं
लेकिन चूँकि हम उन्हें कहते हैं अपनी भावना
हम नाम में यक़ीन करते हैं। क्या उनकी असलियत है उनके नाम में?
हम चीज़ों के मेहमान हैं, हममें से अधिकतर
अपनी शुरुआती भावनाएँ भूल जाते हैं, और उनसे इन्कार करते हैं।
फ़िलिस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संकलन - A River Dies Of Thirst
अरबी से अंग्रेज़ी अनुवाद - कैथरीन कॉबम (Katherine Cobham)
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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