उसी अदा से उसी बाँकपन के साथ आओ।
फिर एक बार उसी अन्जुमन के साथ आओ।
हम अपने एक दिल -ए बेख़ता के साथ आएँ।
तुम अपने महशरे दारो रसन के साथ आओ।
महशरे - प्रलय
शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण - 2004
फिर एक बार उसी अन्जुमन के साथ आओ।
हम अपने एक दिल -ए बेख़ता के साथ आएँ।
तुम अपने महशरे दारो रसन के साथ आओ।
महशरे - प्रलय
शायर - मख़्दूम मोहिउद्दीन
संकलन - सरमाया : मख़्दूम मोहिउद्दीन
संपादक - स्वाधीन, नुसरत मोहिउद्दीन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, प्रथम संस्करण - 2004
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