खामोशी (Mourid Barghouti's poem translated into Hindi)
खामोशी ने कहा:
सच को वाग्मिता की ज़रूरत नहीं।
घुड़सवार की मौत के बाद
घर को मुख़ातिब घोड़ा
सब कुछ कह देता है
बिना कुछ कहे हुए।
फ़िलिस्तीनी कवि : मुरीद बरगूती
अरबी से अंग्रेज़ी: रदवा अशूर (Radwa Ashour)
हिंदी अनुवाद : अपूर्वानंद
स्रोत : Midnight and Other poems Arc Publications, UK,2008
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