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सोमवार, 22 अगस्त 2022

मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib in Hindi)

दिलज़ ताबे बला बिगुज़ाद-ओ-खूं कुन 

ज़ि-दानिश का नक़शायद जुनूँ  कुन 


दिल को अपने 

मुश्किलों की 

आँच पर 

पिघला के तुम 

लोहू बना दो। 


व्यर्थ शंकाएँ 

कभी 

दिल में न लाओ। 


विवेक 

और बुद्धि से जब 

कुछ काम न निकले 

तो फिर 

दीवाने बन जाओ।   


शायर - मिर्ज़ा ग़ालिब 

मूल फ़ारसी से हिन्दी अनुवाद - सादिक़ 

संग्रह - चिराग़-ए-दैर, बनारस पर केन्द्रित कविताएँ 

प्रकाशन - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2018 

रज़ा पुस्तक माला : कविता 


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