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बुधवार, 31 अगस्त 2022

ढलती हुई आधी रात (Dhalati hui aadhi raat by Firaq Gorakhpuri)


ये कैफ़ो-रंगे-नज़ारा, ये बिजलियों की लपक 
कि जैसे कृष्ण से राधा की आंख इशारे करे 
वो शोख इशारे कि रब्बानियत भी जाये झपक 
जमाल सर से क़दम तक तमाम शोअला है 
सुकूनो-जुंबिशो-रम तक तमाम शोअला है 
मगर वो शोअला कि आंखों में डाल दे ठंडक 


कैफ़ो-रंगे-नज़ारा - दृश्य की मादकता और रंग 
रब्बानियत - परमात्मा 
जमाल - सौंदर्य 
सुकूनो-जुंबिशो-रम - निश्चलता, गति और भाग-दौड़ 


शायर - फ़िराक़ गोरखपुरी
संकलन - उर्दू के लोकप्रिय शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी
संपादक - प्रकाश पंडित
प्रकाशक - हिन्द पॉकेट बुक्स, दिल्ली, नवीन संस्करण 1994 

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