ये कैफ़ो-रंगे-नज़ारा, ये बिजलियों की लपक
कि जैसे कृष्ण से राधा की आंख इशारे करे
वो शोख इशारे कि रब्बानियत भी जाये झपक
जमाल सर से क़दम तक तमाम शोअला है
सुकूनो-जुंबिशो-रम तक तमाम शोअला है
मगर वो शोअला कि आंखों में डाल दे ठंडक
कैफ़ो-रंगे-नज़ारा - दृश्य की मादकता और रंग
रब्बानियत - परमात्मा
जमाल - सौंदर्य
सुकूनो-जुंबिशो-रम - निश्चलता, गति और भाग-दौड़
संकलन - उर्दू के लोकप्रिय शायर : फ़िराक़ गोरखपुरी
संपादक - प्रकाश पंडित
प्रकाशक - हिन्द पॉकेट बुक्स, दिल्ली, नवीन संस्करण 1994
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