पगदण्डियों पर चलते हुए
आँखों से उगता है लाल कार्ड
गरीबी और भूख का पहचान-पत्र
हमारे झोले से झाँकता है
बिना पहचान-पत्र के
कोई काम नहीं होता है
भूख को भी
चाहिए होता है एक कार्ड
एटीएम कार्ड
क्रेडिट कार्ड
डेबिट कार्ड
उनकी शोभा है
जो भूख को
विज्ञापन से पहचानते हैं
हमारा तो है लाल कार्ड
पगदण्डियों पर चलते हुए
सपनों में लहराता है
किसी झण्डे की तरह
किसी आवाज़ की तरह
अपना दम ठोंकता है
महाजन बहुत बिगड़ता है इससे।
- 16.03.2020
कवि - अनुज लुगुन
संकलन - पत्थलगड़ी
प्रकाशन - वाणी प्रकाशन, 2021