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मंगलवार, 22 जुलाई 2025

फ़र्क़ पड़ता है (Farq padta hai by Krishna Mohan Jha)

सिर्फ़ बस्ती के उजड़ने से नहीं 

सिर्फ़ आदमी के मरने से नहीं 

सिर्फ़ गाछ के उखड़ने से नहीं 

एक पत्ती के झरने से भी फ़र्क़ पड़ता है

                                     - 2005 


कवि - कृष्णमोहन झा 

संकलन - तारों की धूल 

प्रकाशन - राजकमल पेपरबैक्स, नई दिल्ली, 2025  

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