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रविवार, 20 जुलाई 2025

प्याज एक संरचना है (Pyaaj ek sanrachana hai by Rajesh Joshi)


एक संरचना है प्याज। 
सैंकड़ों पत्तियाँ 
एक-दूसरे से गुँथी हुई 
एक संघटित घटना 
एक हलचल 
ज़मीन में फैलती हुई। 

एक संरचना है प्याज
जैसे अलाव के इर्द-गिर्द हमारे लोग 
जैसे दुपहर की छुट्टी में रोटी खाते 
खेतिहर मजूरों के टोले 
एक-दूसरे से बाँटते हुए 
रोटी, नमक और तकलीफ 

एक संरचना है प्याज
गुस्से और निश्चय में कसी हुई मुट्ठी 
एक गुँथी-बुनी 
संगठित रचना है
               प्याज।  

अपनी जड़ें 
और बीज 
अपने पेट में साथ लेकर 
पैदा होते हैं 
प्याज। 

कहीं भी रोप दो 
उग आएँगे 
और फैलेंगे 
झुंड-के-झुंड 
इकट्ठे जनमते हैं वे 
ज़मीन के भीतर,
नन्हे-नन्हे सफेद फूल 
और नाजुक हरी पत्तियाँ 
हवा में हिलाते हुए। 

पलक झपकते 
एक से दो 
और दो से दस होते हुए 
एक सघन समूह हो जाते हैं 
                             प्याज। 

एक संरचना अहै प्याज
ज़मीन के भीतर-भीतर 
एक मोर्चाबन्द कार्यवाही। 
कत्थई देह में रस भरी आत्मा 
और मिट्टी की गन्ध लिये 

जो 
अचानक 
फूट पड़ेगी 
एक दिन 
और फैल जाएगी 
सारे बाजार पर। 

एक संरचना है प्याज। 


कवि - राजेश जोशी 
संकलन - धूप घड़ी
प्रकाशन - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2002

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