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सोमवार, 11 अगस्त 2025

कोई दीप जलाओ (Koi deep jalaao by Faiz Ahmed 'Faiz')

बुझ गया चंदा, लुट गया घरवा, बाती बुझ गई रे 

दैया राह दिखाओ 

मोरी बाती बुझ गई रे, कोई दीप जलाओ 

रोने से कब रात कटेगी, हठ न करो, मन जाओ 

मनवा कोई दीप जलाओ 

काली रात से ज्योति लाओ 

अपने दुख का दीप बनाओ 

            हठ न करो, मन जाओ 

            मनवा कोई दीप जलाओ 


शायर : फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़'

संकलन : प्रतिनिधि कविताएँ 

प्रकाशन : राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पाँचवीं आवृत्ति, 2012