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गुरुवार, 21 अगस्त 2025

गुज़रना (Guzarana by Vyomesh Shukl)

इतनी बीहड़ क्रूरता के साथ बसे देश में सिर्फ़ तुम्हारे घर के नीचे, अफ़सोस, कभी ट्रैफिक जाम नहीं लगता जिसमें फँसा जा सके। वहाँ से खयाल की तरह गुज़रना होता है। 


कवि - व्योमेश शुक्ल 

संकलन - काजल लगाना भूलना 

प्रकाशन - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, 2020  

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