नागराज से, नागराज से मिलने जाऊँ आज
नागराज सागर में बैठे सर पर पहने ताज
नागराज की सभा जमी है, ख़ुशबुएँ लहराएँ
बहती, रुकती, उलझती जाती, मन को मस्त बनाएँ
चन्दरमाँ की किरनें आएँ, बल खाएँ, बल खाएँ
नन्हे-नन्हे, हलके-हलके, मीठे गीत सुनाएँ
गाते-गाते थकती जाएँ, सोएँ सुख की नींद
(नागसभा में) हल्की-हल्की, मीठी-मीठी नींद
कुछ घड़ियाँ यूँ बीतें, और फिर संख बजाएँ नाग
वहशी और बेबाक, अनोखे नश्शे लाएँ नाग
सूनी किरनें जाग उठें, और नाचें सुन्दर नाच
देवदासी याद आ जाए, हाँ, और मन्दिर, नाच
नागसभा के नाच अनोखे, सारा सागर-नाच
मेरा मन भी बनता जाए देख-देखकर-नाच
शायर - मीराजी संकलन - प्रतिनिधि शायरी : मीराजी संपादक - नरेश 'नदीम' प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
देवदासी के ज़िक्र को छोड़ दें तो पूरी नज़म अभी की राजनीतिक उठा-पटक को ध्यान में रखकर लिखी गई मालूम पड़ रही है।
नागराज सागर में बैठे सर पर पहने ताज
नागराज की सभा जमी है, ख़ुशबुएँ लहराएँ
बहती, रुकती, उलझती जाती, मन को मस्त बनाएँ
चन्दरमाँ की किरनें आएँ, बल खाएँ, बल खाएँ
नन्हे-नन्हे, हलके-हलके, मीठे गीत सुनाएँ
गाते-गाते थकती जाएँ, सोएँ सुख की नींद
(नागसभा में) हल्की-हल्की, मीठी-मीठी नींद
कुछ घड़ियाँ यूँ बीतें, और फिर संख बजाएँ नाग
वहशी और बेबाक, अनोखे नश्शे लाएँ नाग
सूनी किरनें जाग उठें, और नाचें सुन्दर नाच
देवदासी याद आ जाए, हाँ, और मन्दिर, नाच
नागसभा के नाच अनोखे, सारा सागर-नाच
मेरा मन भी बनता जाए देख-देखकर-नाच
शायर - मीराजी संकलन - प्रतिनिधि शायरी : मीराजी संपादक - नरेश 'नदीम' प्रकाशक - समझदार पेपरबैक्स, राधाकृष्ण प्रकाशन, दिल्ली, 2010
देवदासी के ज़िक्र को छोड़ दें तो पूरी नज़म अभी की राजनीतिक उठा-पटक को ध्यान में रखकर लिखी गई मालूम पड़ रही है।
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