परियों के मंजीर लगे फिर बोलने,
किरण लगी जल में फिर केसर घोलने l
मधुऋतु आयी, स्यात, गन्ध छाने लगी,
फूलों का सन्देश वायु लाने लगी l
पत्ती-पत्ती लगी मस्त हो झूमने l
जाओ मेरे गीत ! जंगल में घूमने l
हरियाली हो जहाँ वहाँ वन्दन करो,
मधुऋतु की सुषमा का अभिनन्दन करो l
सभी समागत फूलों को सत्कार दो l
मिले कहीं पाटल तो उसको प्यार दो l
जर्मन कवि - हेनरिक हाइने (1799-1856)
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - रामधारी सिंह दिनकर
संकलन - सीपी और शंख
प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, दूसरा संस्करण - 1997
किरण लगी जल में फिर केसर घोलने l
मधुऋतु आयी, स्यात, गन्ध छाने लगी,
फूलों का सन्देश वायु लाने लगी l
पत्ती-पत्ती लगी मस्त हो झूमने l
जाओ मेरे गीत ! जंगल में घूमने l
हरियाली हो जहाँ वहाँ वन्दन करो,
मधुऋतु की सुषमा का अभिनन्दन करो l
सभी समागत फूलों को सत्कार दो l
मिले कहीं पाटल तो उसको प्यार दो l
जर्मन कवि - हेनरिक हाइने (1799-1856)
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - रामधारी सिंह दिनकर
संकलन - सीपी और शंख
प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, दूसरा संस्करण - 1997
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