Translate

शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

अपने को सलाह (Apne ko salah by Ho Chi Minh)

बिना शरद की ठिठुरन और सन्नाटे के 
वसंत की ऊष्मा और भव्यता 
नहीं मिल सकती,
मुसीबतों ने मुझे पनिया कर 
सख्त कर दिया है 
और मेरे मन को इस्पात बना दिया है। 

बिना आज़ादी के जीना दरअस्ल 
घिनौनी स्थिति है 


कवि - हो ची मिह्न (19.5.1890 - 2.9.1969) 
संकलन - धूप की लपेट 
अनुवाद - सर्वेश्वरदयाल सक्सेना 
संकलन-संपादन - वीरेन्द्र जैन 
प्रकाशन - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2000 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें