महताबियाँ जल-जल उठती हैं
आस-पास चारों ओर :
अनहोनी चकाचौंध
यहाँ, यहाँ, यहाँ -
औचक फुलझड़ियाँ।
चकरी-सा नाच रहा मन,
या वातावरण ?
ओ निर्वासन, कहाँ हूँ मैं, कहाँ हूँ ?
कवि - गिरिजाकुमार माथुर
संकलन - तार सप्तक
संपादक - अज्ञेय
प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, पहला पेपरबैक संस्करण, 1995
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