जुग-जुग जियो, हमारे राजा
हम सब भूखों मरें भले ही
तुम खाओ सिलाव का खाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
धनियों को नित पास बुलाओ
आगे बढ़कर हाथ मिलाओ
किन्तु गरीबों को देखो तो
कर लो बन्द तुरत दरवाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
आज मुजफ्फरपुर आना है
कल पटना-राँची जाना है
छोड़ो रेल, उड़ो विमान पर
है फैशन का यही तकाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
तुम करते निर्वाह हमारा
जन्म-दिवस है आज तुम्हारा
फिर न मनाएँ क्यों हम उत्सव
गाएँ और बजाएँ बाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
है तकदीर हमारी खोटी
पायें कैसे कपड़ा-रोटी
तुम पुण्यात्मा पूर्वजन्म के
पियो संतरे का रस ताजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
हमें छोड़ गोरे प्रभु भागे
दुखड़ा रोएँ किसके आगे
अब तो तुम्हीं हमारे सबकुछ
नानी नाना आजी आजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
'जीवन' बेवकूफ तू भारी
बड़ोँ-बड़ोँ को देता गारी
धरती से कह फटे, और तू
मुँह में कालिख पोत समां जा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
कवि - रामजीवन शर्मा 'जीवन'
किताब - काव्य समग्र : रामजीवन शर्मा 'जीवन'
संपादक - नंदकिशोर नवल
प्रकाशक - सारांश प्रकाशन, दिल्ली, 1996
हम सब भूखों मरें भले ही
तुम खाओ सिलाव का खाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
धनियों को नित पास बुलाओ
आगे बढ़कर हाथ मिलाओ
किन्तु गरीबों को देखो तो
कर लो बन्द तुरत दरवाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
आज मुजफ्फरपुर आना है
कल पटना-राँची जाना है
छोड़ो रेल, उड़ो विमान पर
है फैशन का यही तकाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
तुम करते निर्वाह हमारा
जन्म-दिवस है आज तुम्हारा
फिर न मनाएँ क्यों हम उत्सव
गाएँ और बजाएँ बाजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
है तकदीर हमारी खोटी
पायें कैसे कपड़ा-रोटी
तुम पुण्यात्मा पूर्वजन्म के
पियो संतरे का रस ताजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
हमें छोड़ गोरे प्रभु भागे
दुखड़ा रोएँ किसके आगे
अब तो तुम्हीं हमारे सबकुछ
नानी नाना आजी आजा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
'जीवन' बेवकूफ तू भारी
बड़ोँ-बड़ोँ को देता गारी
धरती से कह फटे, और तू
मुँह में कालिख पोत समां जा
जुग-जुग जियो, हमारे राजा
कवि - रामजीवन शर्मा 'जीवन'
किताब - काव्य समग्र : रामजीवन शर्मा 'जीवन'
संपादक - नंदकिशोर नवल
प्रकाशक - सारांश प्रकाशन, दिल्ली, 1996
jhakjhorti .. bebak ..
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