हिज्र की इस रात में
कुछ रोशनी-सी आ रही है
शायद याद की बत्ती
कुछ और ऊँची हो गयी है …
एक हादसा, एक जख्म
और एक टीस दिल के पास थी
रात को सितारों की रक़म
इन्हें जरब दे गयी …
नज़र के आसमान से
सूरज कहीं दूर चला गया
पर अब भी चाँद में
उसकी खुशबू आ रही है …
तेरे इश्क़ की एक बूँद
इसमें मिल गयी थी
इसलिए मैंने उम्र की
सारी कड़वाहट पी ली …
कवयित्री - अमृता प्रीतम
संकलन - प्रतिनिधि कविताएँ : अमृता प्रीतम
प्रकाशक - राजकमल पेपरबैक्स, दिल्ली, पहला संस्करण - 1983
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