उसने हैरानी से मुझे देखा
'मैं तो मज़ाक कर रहा था
तुम इतनी नाराज़ क्यों हो गयीं ?'
मैं उसे कैसे बताती
यह गुस्सा आज और अभी का नहीं
इसमें बहुत सा पुराना गुस्सा भी शामिल है
एक सन तिरासी का एक तिरानवे का
एक दो हज़ार दो का
और एक यह आज का
कवयित्री - ममता कालिया
किताब - ममता कालिया : पचास कविताएँ, नयी सदी के लिए चयन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2012
'मैं तो मज़ाक कर रहा था
तुम इतनी नाराज़ क्यों हो गयीं ?'
मैं उसे कैसे बताती
यह गुस्सा आज और अभी का नहीं
इसमें बहुत सा पुराना गुस्सा भी शामिल है
एक सन तिरासी का एक तिरानवे का
एक दो हज़ार दो का
और एक यह आज का
कवयित्री - ममता कालिया
किताब - ममता कालिया : पचास कविताएँ, नयी सदी के लिए चयन
प्रकाशक - वाणी प्रकाशन, दिल्ली, 2012
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