देहरी पर दिया
बाँट गया प्रकाश
कुछ भीतर कुछ बाहर :
बँट गया हिया -
कुछ गेही कुछ यायावर l
हवा का हल्का झोंका
कुछ सिमट, कुछ बिखर गया
लौ काँप कर फिर थिर हुई :
मैं सिहर गया l
कवि - अज्ञेय संकलन - ऐसा कोई घर आपने देखा है प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, 1986
बाँट गया प्रकाश
कुछ भीतर कुछ बाहर :
बँट गया हिया -
कुछ गेही कुछ यायावर l
हवा का हल्का झोंका
कुछ सिमट, कुछ बिखर गया
लौ काँप कर फिर थिर हुई :
मैं सिहर गया l
कवि - अज्ञेय संकलन - ऐसा कोई घर आपने देखा है प्रकाशक - नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली, 1986
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