फ़ोड़ा मेरा यार यही है
मेरा सच्चा प्यार यही है
जब जब मैंने धोखा खाया
इस फ़ोड़े ने मुझे बचाया
मैंने इसको कभी न टोका
मनमर्ज़ी से कभी न रोका
जिसने इसको हाथ लगाया
मैंने उसको मार भगाया
सब दुनिया से इसे छिपाया
पाल पोस मुटमर्द बनाया
जब-जब ये सूखा मुर्झाया
तब-तब मैं सहमा घबराया
जब-जब मैं कुछ करके आया
इसने मेरा जिगर बढ़ाया
दुनिया मुझको समझ न पाई
इस फ़ोड़े ने जान बचाई
बाकी घपला यही सही है
ढाल यही तलवार यही है
मेरा सच्चा प्यार यही है
मेरा सच्चा प्यार यही है
जब जब मैंने धोखा खाया
इस फ़ोड़े ने मुझे बचाया
मैंने इसको कभी न टोका
मनमर्ज़ी से कभी न रोका
जिसने इसको हाथ लगाया
मैंने उसको मार भगाया
सब दुनिया से इसे छिपाया
पाल पोस मुटमर्द बनाया
जब-जब ये सूखा मुर्झाया
तब-तब मैं सहमा घबराया
जब-जब मैं कुछ करके आया
इसने मेरा जिगर बढ़ाया
दुनिया मुझको समझ न पाई
इस फ़ोड़े ने जान बचाई
बाकी घपला यही सही है
ढाल यही तलवार यही है
मेरा सच्चा प्यार यही है
कवि - मनमोहन
संकलन - ज़िल्लत की रोटी
प्रकाशक - राजकमल प्रकाशन, दिल्ली, 2006
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें