(उत्तर प्रदेश की एक लोकधुन पर आधारित)
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
आया डोला,
उड़न खटोला,
एक परी परदे से निकली पहने पंचरंग चीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
आँखें टक-टक,
छाती धक-धक,
कभी अचानक ही मिल जाता दिल का दामनगीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
नाव बिराजी,
केवट राजी,
डाँड़ छुई भर, बस आ पहुँची संगम पर की भीड़ l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
मन मुसकाई,
उतर नहाई,
'आगे पाँव न देना, रानी, पानी अगम-गभीर'l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
बात न मानी,
होनी जानी,
बहुत थहाई, हाथ न आई जादू की तस्वीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
इस तट, उस तट,
पनघट, मरघट,
बानी अटपट ;
हाय, किसी ने कभी न जानी माँझी-मन की पीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l डोंगा डोले l डोंगा डोले l …
कवि - हरिवंशराय बच्चन
संकलन - कविता नदी
संपादक - प्रयाग शुक्ल
प्रकाशक - महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वि.वि. के लिए
किताबघर प्रकाशन, दिल्ली, 2002
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
आया डोला,
उड़न खटोला,
एक परी परदे से निकली पहने पंचरंग चीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
आँखें टक-टक,
छाती धक-धक,
कभी अचानक ही मिल जाता दिल का दामनगीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
नाव बिराजी,
केवट राजी,
डाँड़ छुई भर, बस आ पहुँची संगम पर की भीड़ l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
मन मुसकाई,
उतर नहाई,
'आगे पाँव न देना, रानी, पानी अगम-गभीर'l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
बात न मानी,
होनी जानी,
बहुत थहाई, हाथ न आई जादू की तस्वीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l
इस तट, उस तट,
पनघट, मरघट,
बानी अटपट ;
हाय, किसी ने कभी न जानी माँझी-मन की पीर l
डोंगा डोले,
नित गंग-जमुन के तीर,
डोंगा डोले l डोंगा डोले l डोंगा डोले l …
कवि - हरिवंशराय बच्चन
संकलन - कविता नदी
संपादक - प्रयाग शुक्ल
प्रकाशक - महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वि.वि. के लिए
किताबघर प्रकाशन, दिल्ली, 2002
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