चाँदी की झीनी चादर-सी
फैली है वन पर चाँदनी l
चाँदी का झूठा पानी है
यह माह-पूस की चाँदनी l
खेतों पर ओस-भरा कुहरा,
कुहरे पर भीगी चाँदनी ;
आँखों में बादल-से आँसू,
हँसती है उन पर चाँदनी l
दुख की दुनिया पर बुनती है
माया के सपने चाँदनी l
मीठी मुसकान बिछाती है
भीगी पलकों पर चाँदनी l
लोहे की हथकड़ियों-सा दुख,
सपनों-सी झूठी चाँदनी ;
लोहे से दुख को काटे क्या
सपनों-सी मीठी चाँदनी l
यह चाँद चुरा कर लाया है
सूरज से अपनी चाँदनी l
सूरज निकला, अब चाँद कहाँ ?
छिप गयी लाज से चाँदनी l
दुख और कर्म का यह जीवन,
वह चार दिनों की चाँदनी l
यह कर्म-सूर्य की ज्योति अमर,
वह अन्धकार की चाँदनी l
कवि - रामविलास शर्मा
संकलन - तार सप्तक
संकलनकर्ता और संपादक - अज्ञेय
प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, पहला संस्करण - 1963
फैली है वन पर चाँदनी l
चाँदी का झूठा पानी है
यह माह-पूस की चाँदनी l
खेतों पर ओस-भरा कुहरा,
कुहरे पर भीगी चाँदनी ;
आँखों में बादल-से आँसू,
हँसती है उन पर चाँदनी l
दुख की दुनिया पर बुनती है
माया के सपने चाँदनी l
मीठी मुसकान बिछाती है
भीगी पलकों पर चाँदनी l
लोहे की हथकड़ियों-सा दुख,
सपनों-सी झूठी चाँदनी ;
लोहे से दुख को काटे क्या
सपनों-सी मीठी चाँदनी l
यह चाँद चुरा कर लाया है
सूरज से अपनी चाँदनी l
सूरज निकला, अब चाँद कहाँ ?
छिप गयी लाज से चाँदनी l
दुख और कर्म का यह जीवन,
वह चार दिनों की चाँदनी l
यह कर्म-सूर्य की ज्योति अमर,
वह अन्धकार की चाँदनी l
कवि - रामविलास शर्मा
संकलन - तार सप्तक
संकलनकर्ता और संपादक - अज्ञेय
प्रकाशक - भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, पहला संस्करण - 1963
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