मेरे शब्द जब गेहूँ थे
मैं था धरती.
मेरे शब्द जब रोष थे
मैं था तूफ़ान.
मेरे शब्द जब चट्टान थे
मैं था नदी.
जब मेरे शब्द बन गए शहद
मक्खियों ने मेरे होंठ ढँक लिए.
फिलिस्तीनी कवि - महमूद दरवेश
संग्रह - जॉन बर्जर की किताब 'होल्ड एवरीथिंग डियर' में उद्धृत
प्रकाशक - वर्सो, लंडन-न्यू यॉर्क, 2007
अंग्रेज़ी से हिन्दी अनुवाद - अपूर्वानंद
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